"बालोऽहं जगदानन्द ! न मे बाला सरस्वती । अपूर्णे पञ्चमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥" अर्थात हे जगतपति, हम बालक अवश्‍य छी मुदा हमर सरस्‍वती बालिका नहि छथि, हमर बैस एखन पांच साल क नहि भेल अछि, मुदा हम जगत क वर्णन करि सकैत छी- शंकर मिश्र क अनमोल बचन

सोमवार, 14 जनवरी 2013

हाजिर बानी हम

ज्योति श्रीवास्तव
समाद के इतिहास २००७ से शुरू होत बा, जब मैथिली आऊर भोजपुरी ब्लॉगिंग के अधिक धमक ना रहे। ई मैथिली के ओह चंद लोकप्रिय ब्लॉगन में पहिला रहे जवन अपना समय आ समाज के हर मामला में हस्तक्षेप करत रहे। मिथिला के छह घरेलू महिला लोगन के हाथ से शुरू भईल समाद परिवार आज भोजपुरी समाद के रूप रऊआ सब के सामने आ रहल बा। समाद परिवार में आज २० से ज्यादा महिला आउर करीब आधा दर्जन पुरूष सदस्य बा। लोग लंदन आउर दुबई जइसन जगहन पर भी समाद के समदिया लोग मौजूद बा। ई समाद मैथिली के बाद भोजपुरी पत्र के दुनिया में जब उतरल बा। त ओइसने चुनौतियन के सामना करे के पड़ रहल बा जइसन मैथिली के समय करे के पड़ल रहे। मैथिली आऊर भोजपुरी जइसन भाषा में पत्र-पत्रिका कबो-कबो बाज़ार में देखे के मिलत रहल बा बाकिर, ई समाद खातिर एकरा के निर्बाध रूप से ज़ारी रखल सबसे बड़हन चुनौती होखी काहे कि एह भाषा सब में निर्बाधता ही सबसे बड़हन समस्या रहल बा. भगवती के आशीर्वाद से २००७ में शुरू भइल ई समाद के मैथिली संस्करण आज आपन पांच साल पूरा कर रहल बा। २००९ में ई समाद के वेबसाइट के रूप में कायांतरण भइल रहे. आज ई दोसर रूप में भी रऊआ लोगन के सामने आइल बा. रूप आऊर भाषा चाहे मैथिली होखे या भोजपुरी ई समाद के कार्यशैली आऊर लेखन शैली विमर्श आ गपशप ही रही. सब समादन के पीछे भागे के बदला में ई समाद भोजपुरिया भी अपना विजिटर के क्वालिटी कंटेट प्रोवाइड करावे के जरूरत पर जोर दीही. आऊर, उम्मीद बा कि मैथिली के तरह ही दुनिया के हर कोना में भोजपुरी समाज के करोड़ो लोग ई समाद पर आवाजाही करी. जइसे मैथिली संस्करण के लोगन के स्नेह मिलल आऊर ई सबसे लोकप्रिय साइट बनल ओइसहीं भोजपुरी संस्करण के भी मिली, ईहे उम्मीद बा।
समाज में घट रहल हर ओह घटना के जानकारी हमनी लोग देबे के प्रयास करब, जेकर संबंध बिहार आ भोजपुरिया समाज से होखी। बाकिर, हमनी के ई कहे के साहस नइखे होखत कि हमनी के हर समाद रऊआ लोगन के उचित ही लागी। हमनी लोग एकर गारंटी भी ना ले सकत बानी कि हर समाद सांच ही होखी। जब जइसन जरूरत होखी हमनी लोग रऊआ सभन तक पहुंचावत रहब सन। कहे के मतलब ई बा कि हमनी लोग कवनो एक अंक के जिम्मेदारी एक बार में लेब सन। हमनी के जवन मिली ऊ हमनी लोग रऊआ सभे तक पहुंचा देब सन। हमनी लोग बस नेट पर समदिया के काम करत रहब सन। एही कारन से एह पत्र के नाम ई समाद राखल गईल रहे। हमनी लोग एह धारणा के भी खंडित करे के काम कइले बानी सन कि बिहार में समाचार के मतलब केवल अपराध आऊर राजनीते होखे ला। हमनी लोग आर्थिक, सामाजिक आऊर वैज्ञानिक बदलाव पर विशेष नज़र राखब सन। दुनिया के साथे हमनी लोग भी विकास परक जानकारी रऊआ लोगन से साझा करब सन। शिक्षा आऊर कृषि के क्षेत्र में हमनी लोग कइसे आगे बढ़ सकत बानी एकरा खातिर रास्ता तलाशब सन। हमनी लोग भोजपुरी के महान विभूतियन के संबंध में शोध के साथ-साथ उनका लोग के प्रासंगिकता पर चर्चा करब सन। कुल मिलाके ई समाद के मूल वाक्य- ना त हमनी लोग कुछ छिपाई ले सन आऊर ना ही कुछ भुलाई ले सन, जवन बिहार चाहे ला कहे के, ऊहे हमनी लोग पहुंचाई ले सन. आज ई समाद के भोजपुरी संस्करण के रऊआ लोगन के सामने राखत में क्षमा याचना के साथे कहे के चाहब कि भोजपुरी समाज के विकास में हम महिला लोग के योगदान में अगर कवनो त्रुटि लउके त हमनी के मार्ग दर्शन करीं सभे। हमनी के चाहीं, रऊआ लोगन के आशीर्वाद, देखत रहीं भोजपुरी के ई समाद।